
Blog
- Home
- Blog
- January 10, 2024
- admin
विश्व हिन्दी दिवस के सम्बन्ध में “वसूधैव कुटुम्बकम्”
विश्व हिन्दी दिवस प्रतिवर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी भाषा का प्रचार प्रसार एंव जागरुकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तराष्ट्रीय भाषा के रुप में स्थापित करना है।
अयं निजः परोवेति गणनालघु चेतस्याम्, उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।
"वसुधैव कुटुम्बकम्” भारतीयं जीवन दर्शनं का सार वाक्य है, हर भारतीय इस पर गर्व करता है, विश्व बंधुत्व की भावना को प्रगाढ करने वाले इस सूत्र वाक्य के मूल तथा भारतीय दर्शन की गहराई को दुनिया ने समझ लिया है, और इसे बढावा देने की दिशा में कदम उठाए जा रहे है। यही सब प्रयास हमे वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को विश्व भर में तेजी से लोकप्रिय बनाने का काम कर रहें है। भारतीय संस्कृति मे हजारो वर्ष पहले से ही शान्तिपूर्ण, सहअस्तित्व और बन्धुत्व की भावना को समझ लिया गया था। वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना उसी ओर इंगित करती है, अब इसकी बढती प्रासंगिकता और जरुरत में भारतीय संास्कृतिक और साहित्यिक की ओर भी विश्व का ध्यान आकृत करने का कार्य किया है। वसुधैव कुटुम्बकम् का विचार भारतीय दर्शन को वैश्विक स्तर पर और सश्क्त बनाने का कार्य कर रहा है। वसुधैव कुटुम्बकम् का दर्शन परास्परिक सदभाव, गरिमा और जबाबदेही को प्रोत्साहित करता है, क्योकि यह सभी मनुष्यो के बीच जाति, धर्म या राष्ट्रीयता की परवाहा किये बिना एकता और जुडाव के विचार पर जोर देता है, क्योकि व्यक्ति एंव दुनिया पर सकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता रखता है, इसके साथ ही असंतुलित आर्थिक विकास भी सम्पूर्ण विश्व के समक्ष एक प्रमुख समस्या है। अन्धाधुन्ध औघोगिकीकरण ने पर्यावरण असंतुलन को जन्म दिया है, जो कि वैश्विक शान्ति की स्थापना मे बाधक साबित हो रहा है, जबकि वैश्विक शान्ति की स्थापना करने मे भारत वर्ष सदैव अग्रणी रहा है। प्राचीन काल से ही शान्ति एंव सद्भावना ही हमारी भारतीय संस्कृति की मूल विशेषता रही है, जबकि भारत नेे बाहर से आयी विभिन्न संस्कृतियो को भी अपने मे समाहित किया है। स्वामी विवेकानन्द का शिकागो सम्मेलन आखिर कौन भूल सकता है ? यह सब विचार ही हमे हमारी भारतीय सभ्यता एंव संस्कृति और भाषा से लगाव का प्रतिक है।

Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked